बचपन के दिन ✍️✍️
अच्छा तो याद हैं वो दिन कुछ दिन पहले से ही
इस दिन का इंतज़ार करते थे,
हांथो में डंडा और उसमें लगा के झंडा इक ही बात बोला करते थें
वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्,
अब कहा से लाए वो दिन जीस दिन के लिए कुछ दिन पहले से ही इंतजार करते थें,
बहुत कुछ पाया बहुत कुछ खोया लेकीन वो दिन हमेशा याद आते हैं
वो बूंदी या चॉकलेट स्कूलों की बहुत याद आते हैं अब वो बचपन के दिन याद आते हैं ।
अब कहां से लाए वो दिन अब वो बचपन के दिन बहुत याद आते हैं ।
~सूरज~
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